Thursday 5 February 2015

धन का बंटवारा

एक समय की बात है जब धर्मपुरी नगर के राजा सोमसेन शिकार खेलने के बाद अपने नगर को लोट रहे थे की जंगल के बिच में राजा अपने सेनिको से बिछड़ गए और जंगल में अकेले ही अपने नगर की तरफ चल पड़े। रास्ते में चलते समय उन्होंने एक आदमी को मुरली बजाते हुए अपने नगर की तरफ जाते हुए देखा तो राजा ने कुछ दूर के लिए उसका साथ ले लिया और दोनों साथ साथ चलने लगे बातो ही बातो में राजा ने उस व्यक्ति को पूछा की वो कोन है और क्या काम करता है और केसे गुजारा चलता है।
       उस आदमी ने कहा की में एक लकडहारा हूँ और लकड़ी काटने का काम करता हु और रोजाना चार रुपये कमाता हूँ और पहला रुपया तो कुए में फेंक देता हूँ दुसरे रुपये से कर्जा चुकता हूँ तीसरे रुपये को में उधार देता हूँ और चौथे रुपये को में जमीन में गाड़ देता हूँ। वो अपनी कहानी कह रहा था और राजा उसको इस बारे में पूछना ही  चाहता था मगर तभी सैनिक राजा को ढूंढते-ढूंढते वह आ गये और फिर राजा उनके साथ चला गया। राजा ने दुसरे दिन अपने दरबार में सभी लोगो को उस लकडहारे की बात कही और पूछा की वो लकडहारा जो चार रुपये खर्च करता है उसको केसे और कहा खर्च करता है जरा खुलासा पूर्वक बताओ लेकिन इस बात का जवाब कोई भी नहीं दे सका। तो राजा ने सिपाही को आदेश दिया की जाओ और उस लकडहारे को दरबार में मेरे सामने उपस्थित करो। सिपाही ने लाकर के राजा के सामने लकडहारे को पेश कर दिया राजा ने उसको कल के उसके जवाब का खुलासा करने को कहा तो उस लकडहारे ने कहा की पहला रूपया में कुए में फेकता हूँ का मतलब ये है की में पहले रुपये से अपने परिवार का पालन करता हूँ। दुसरे रुपये से में कर्जा चुकता हूँ यानी की मेरे माता पिता बूढ़े है जिनके इलाज और खर्चे को पूरा करता हूँ और उनका जो उपकार है वो कर्जा मेरे ऊपर है उसको चुकता हूँ, तीसरे रूपये को में उधार देता हूँ का मतलब ये है की एक रुपये को में अपने बचो की शिक्षा आदि पर खर्चा करता हूँ ताकि जब में बूढ़ा हो जाऊ तो वो उधार दिया हुवा मेरे को काम आ सके। और चौथे रुपये को मै जमीन में गाड़ देता हूँ इसका मतलब ये हुवा की चौथा रूपया में धर्म ध्यान दान दक्षिणा और लोगो की सेवा में खर्चा करता हु ये तब मेरे काम आएगा जब में इस दुनिया से विदा होऊंगा। राजा और सभी दरबारियों ने लकडहारे की बाते सुनी और सराहना की राजा ने उस लकडहारे को समान दिया और काफी धन देकर के इज्जत से वापस विदा किया।
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