Tuesday 16 April 2013

संगत


हकीम लुकमान ने एक दिन अपने बेटे को पास बुला कर धूपदान की ओर इशारा किया.इशारे को समझ बेटा धूपदान में से एक मुट्ठी चंदन का चूरा ले आया. फिर लुकमान ने दूसरा इशारा किया. इशारा समझ बेटा दूसरे हाथ में चूल्हे में से कोयला ले आया.

लुकमान ने फिर इशारा किया कि दोनों को फेंक दो. बेटे ने दोनो को फेंक दिया. लुकमान ने बेटे से जानना चाहा कि अब उसके हाथों में क्या है? बेटे ने बताया कि दोनों हाथ खाली हैं. लुकमान ने कहा, ऐसा नहीं है. अपने हाथों को गौर से देखो. बेटे ने अनुभव किया कि जिस हाथ में चंदन का चूरा था, वह अब भी खुशबू बिखेर रहा है और जिस हाथ में कोयला रखा था, उसमें अब भी कालिख नजर आ रही थी. लुकमान ने कहा, बेटा, चंदन का चूरा अब भी तुम्हारे हाथ में खुशबू दे रहा है, जबकि तुम्हारे हाथ में अब चंदन नहीं है. कोयले का टुकड़ा तुमने हाथ में लिया तो तुम्हारा हाथ काला हो गया और उसे फेंक देने के बाद भी हाथ काला है.

इसी तरह दुनिया में कुछ लोग चंदन की तरह होते हैं, जिनके साथ जब तक रहो तब तक हमारा जीवन महकता रहता है और उनका साथ छूट जाने पर भी वह महक हमारे जीवन से जुड़ी रहती है. दूसरे ऐसे होते हैं जिनके साथ रहने से भी और साथ छूटने पर भी जीवन कोयले की तरह कलुषित होता है.

यदि आप दक्ष और प्रतिष्ठित लोगों से जुड़े हैं, तो आपको यह बताने में गर्व महसूस होता होगा कि मैं फलां व्यक्ति के साथ काम कर रहा हूं. सामनेवाले पर भी इसका सकारात्मक असर पड़ता है. दूसरी ओर कम प्रतिष्ठित लोगों के साथ काम करने पर आपकी छवि भी वैसी ही बन जाती है, भले ही आप बहुत प्रतिभाशाली हों.

कोशिश यही करें कि अपने फील्ड के प्रतिष्ठित लोगों के साथ ही काम करें, ताकि न केवल ज्यादासे ज्यादा सीख सकें, बल्कि आपकी अच्छी ब्रांडिंग भी हो ।

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