Wednesday 10 April 2013

मानसिक


एक आदमी कहीं से गुजर रहा था, तभी उसने सड़क के किनारे बंधे हाथियों को देखा तो रूक गया। उसने देखा कि हाथियों के अगले पैर में एक रस्सी बंधी हुई है। उसे इस बात पर आश्चर्य हुआ कि हाथी जैसे विशालकाय जीव लोहे की जंजीरों की जगह बस एक छोटी सी रस्सी से बंधे हुए हैं। वे चाहते तो अपने बंधन तोड़ कर कहीं भी जा सकते थे, पर वे ऎसा नहीं कर रहे थे। उसने पास खड़े महावत से पूछा- "भला ये हाथी किस प्रकार इतनी शांति से खड़े हैं और भागने का प्रयास भी नहीं कर रहे हैं।" महावत ने कहा- "इन हाथियों को छोटी उम्र से ही इन रस्सियों से बांधा जाता है। उस समय इनके पास इतनी शक्ति नहीं होती कि इस बंधन को तोड़ सकें, बार-बार प्रयास करने पर भी रस्सी न तोड़ पाने के कारण उन्हें धीरे-धीरे यकीन होता जाता है कि वे इन रस्सियों को नहीं तोड़ सकते और बड़े होने पर भी उनका यह यकीन बना रहता है। इसलिए वे कभी इसे तोड़ने का प्रयास ही नहीं करते।" उस आदमी को यह बात बड़ी रोचक लगी। उसने इसके बारे में एक संत से चर्चा की।

संत ने मुस्कराकर कहा- "ये जानवर इसलिए अपना बंधन नहीं तोड़ सकते क्योंकि वे इस बात में यकीन करते हैं। इन हाथियों की तरह हममें से कई लोग अपनी किसी विफलता के कारण मान बैठते हैं कि अब उनसे ये काम हो ही नहीं सकता। वे अपनी बनाई हुई मानसिक जंजीरों में पूरा जीवन गुजार देते हैं, लेकिन मनुष्य को कभी प्रयास छोड़ना नहीं चाहिए। सतत प्रयास से ही सफलता मिलती है।

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