Wednesday 10 April 2013

पढेँ शेर फल क्यों नहीं खाता है?


एक मबावा नाम का एक सियार था , एक दिन उसने फलों से लदे था नामक पेडक़ो खोज निकाला । उसने पेड से गिरेपके रसीले फल इकठ्ठे किये और बस उनका स्वाद लेकर खाने बैठा ही था कि उसे दूर से आती शेर की दहाड सुनाई दी । उस चतुर सियार ने सोचाकि -

' लगता है शेर भूखा है , ऐसा न हो किवह इधर ही चला आए और ये मीठे फल मुझसे छीन कर खा जाए। वह चिन्तित हो गया कि सभी जानते हैं कि शेर तो जंगल का राजा है , और राजा होनेके नाते उसकी भूख बहुत ज्यादा है । और वह सबके खाने को छीन कर खाने को अपना अधिकार समझता है । उससे ना करने की किसी की हिम्मत तक नहीं होती ।

शेर की दहाड अब पास से आती सुनाई दी , लेकिन अब तक चतुर सियार ने शेर से था के रसभरे मीठे फलों को बचाने की तरकीब खोज निकाली थी । जैसे जैसे शेर पास आ रहा था मबावाने जल्दी जल्दी फलों के ढेर को खाना शुरु कर दिया , उसे पता चल गया कि शेर उसे लालचियों की तरह जल्दी जल्दी खाते हुए देख रहा है , तब अचानक वह जमीन गिर पडा और छटपटाने लगा और कराहने लगा फिर छटपटा कर मृत जानवर की तरह शांत और स्थिर हो गया , आखें भी उसने एकजगह टिका दीं ।

शेर ने सोचा कि जरूर ये फल जहरीलेहोंगे तभी ये बेवकूफ सियार इन्हें खाकर मर गया है । शेर अपनेरास्ते लौट गया । उसके नजरों से खूब दूर चले जाने के बाद मबावा उठा , उसने बचे हुए रसीले था के फलखाये और उसे याद आया कि पास ही नाले के पास एक दूसरे सियार का कंकाल पडा है । वह उसे उठा लाया और फलों के छिलकों के पास उसे पटकदिया , ठीक वहाँ जहाँ उसने अपने मरे हुए होने का नाटक किया था । अपनी तरकीब पर खुश होता हुआ सियार अपनी गुफा में लौट गया ।

जब कुछ सप्ताह बाद शेर था फल के पेड क़े पास से गुजरा तो पेड उसी तरह लाल रसीले फलों से लदा था , उसकी भूख जग आई वह कुछ कदम बढा पर वह ठिठक गया वहाँ बेचारे लालची सियार का कंकाल पडा था । उसे गिध्द नोच रहे थे । उसे याद आ गया कि ओह यह तो मबावा का कंकाल है वही यहाँ लालची की तरह इन फलों को हबड हबड ख़ा रहा था , फिर छटपटा कर गिर गया था । उसने कसम खाई कि वह अब कभी किसी पेड क़ा फल नहीं खाएगा ।

नोट==>अफ्रीकन कहानी के अनुसार ऐसे शेर ने फल खाना छोडा


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